राजस्थान के लोक नृत्य | Rajasthan Ke Lok Nritya

Rajasthan Ke Lok Nritya – लोक नृत्यों का हमारे जीवन मे बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यह एक ऐसी कड़ी है जो भाषा, जाती, धर्म ओर बाकी सभी विभिन्नताओ से ऊपर है जो हमे एक दूसरे से अलग करते है । राजस्थान के लोक नृत्य भी ऐसे ही एक कड़ी है जो आज के जमाने मे ग्रामीण परिवेश की हमारे शहरों से जोड़े हुआ है । आइए जाने है हमारे लोक नृत्यों को ट्रिक के साथ ओर किस तरह से प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओ मे आते है

भूमिका – Rajasthan Ke Lok Nritya

Table of Contents

राजस्थान का राज्य नृत्य – घूमर

  • कब किया जाता है – गणगौर पर
  • घूमर को नृत्यों की आत्मा / नृत्यों का हृदयनृत्यों का सिरमोर भी कहते है ।
  • सर्वाधिक – जोधपुर / जयपुर
  • महिलाओ द्वारा 80 काली का घाघरा पहन कर किया जाता है ।
  • यह नृत्य पुरुष रस प्रधान है ।

राजस्थान का शास्त्रीय नृत्य – कत्थक

  • राजस्थान मे कत्थक का आदिम घराना – जयपुर
  • राजस्थान मे कत्थक का आदिम घराना – लखनऊ
  • मुख्य प्रवर्तक – भानुजी महाराज
  • प्रमुख कलाकार – बिरजू जी महाराज
Rajasthan Ke Lok Nritya
Rajasthan Ke Lok Nritya

राजस्थान के विभिन्न प्रांतीय नृत्य – Rajasthan Ke Lok Nritya

1. मारवाड़ प्रांत – Rajasthan Ke Lok Nritya

Trick – मारवाड़ का घुड़ला मछली को डंडे से झाड़ता है ।

घुड़ला नृत्य

  • राव सांतल के काल मे शुरू हुआ ।
  • सर्वाधिक – चैत्र कृष्ण अष्टमी (शीतला अष्टमी) से गणगौर तक
  • घुड़ला (मटका) को जल मे विसर्जित किया जाता है ।
  • इस नृत्य को घुड़ले खाँ की पुत्री गींदोली ने प्रारंभ किया था ।
  • इस नृत्य को स्वर्गीय कोमल कोठारी के रूपायन संस्थान, बोरुन्दा द्वारा संरक्षण प्रदान किया गया है ।
तिजणीयाँ - गौर की पूजा करने वाली लड़किया । 

मछली नृत्य

  • बंजारा जाती की कुंवारी लड़कियों द्वारा किया जाता है ।
  • सर्वाधिक – बाड़मेर मे
  • पूर्णिमा की चाँदनी रात को किया जाता है ।
  • यह नृत्य धार्मिक नाट्य का एक रूप है ।
  • यह राजस्थान का एकमात्र नृत्य है जो हर्षोउल्लास के साथ शुरू होता है परंतु शोक या दुख के साथ समाप्त होता है ।

डांडिया नृत्य

  • मूलतः गुजरात का नृत्य है ।
  • सर्वाधिक – नवरात्र मे किया जाता है ।
  • यह एक युगल नृत्य है ।

झाँझी नृत्य

  • झाँझी – छोटा मटका
  • महिलाए छिद्रयुक्त छोटी-छोटी झाँझिया लेकर उनमे दीपक जलाकर सामूहिक रूप से नृत्य करती है ।

2. शेखावटी प्रांत – Rajasthan Ke Lok Nritya

Trick – शेखावटी का गीदड़ चंग लेकर कच्छी घोड़ी बन गया । (डफ, जिंदाद, कबूतरी)

गीदड़ नृत्य

  • पुरुषों द्वारा गांव के गौवाड़ (गुवाड़/चोक) पर किया जाता है ।
  • होली पर किया जाता है ।

चंग नृत्य

  • डफली का छोटा स्वरूप चंग होता है ।
  • पुरुषों द्वारा गांव के गौवाड़ (गुवाड़/चोक) पर किया जाता है ।
  • होली पर किया जाता है ।

डफ नृत्य

  • बसंत पंचमी पर किया जाता है ।

ल्हुर नृत्य

  • ल्हुर शब्द का राजस्थानी भाषा मे अर्थ मीठी खुजली ।
  • पात्र अभिनेता – अभिनेत्री बनते है ।
  • यह नृत्य फिल्मी गानों पर किया जाता है ।
  • यह एक अश्लील नृत्य है ।

कच्छी घोड़ी नृत्य

  • यह एक व्यावसायिक नृत्य है ।
  • इसमे काष्ठ (लकड़ी) की घोड़ी का प्रयोग किया जाता है ।
  • इसमे कुल 8 व्यक्ति होते है 4-4 दोनों तरफ ।
  • इस नृत्य मे पैटर्न बनाने की कला पाई जाती है ।
  • प्रमुख वाध्ययन्त्र – अलगोजा
  • जब यह नृत्य काछी जाती द्वारा किया जाता है तब झांझ वाध्ययन्त्र बजाय जाता है ।
Rajasthan Ke Lok Nritya | राजस्थान के व्यावसायिक नृत्य - 1. कच्छी घोड़ी | 2. भवाई | 3. तेरहताली   

जिंदाद नृत्य

  • यह एक युगल नृत्य है ।
  • यह नृत्य होली पर किया जाता है ।

कबूतरी नृत्य

  • चुरू का प्रसिद्ध है ।
  • महिलाओ द्वारा किया जाता है ।

3. मेवात प्रांत – Rajasthan Ke Lok Nritya

Trick – मेव मेश रण मे बम लाते है । (खारी/रतवई नृत्य)

हुरंगा नृत्य

  • प्रसिद्ध – भरतपुर
  • इस नृत्य मे स्वांग रचाया जाता है ।
  • इसे हसी-मजाकिया अंदाज मे किया जाता है ।

रणबाजा नृत्य

  • प्रसिद्ध – अलवर
  • इस नृत्य मे युद्ध का अभिनय किया जाता है ।

बम नृत्य

  • प्रसिद्ध – अलवर, भरतपुर
  • बम – नगाड़े का बड़ा स्वरूप
  • इसे नई फसल के पकने की खुशी मे किया जाता है ।
  • इसे फाल्गुन की मस्ती मे किया जाता है ।
  • इसमे बम वाध्ययन्त्र का प्रयोग किया जाता है ।
  • जब पुरुष बम नृत्य करते है तो महिलाओ द्वारा रसिया गाया जाता है जिन्हे बमरसिया कहा जाता है ।
  • इस नृत्य की समाप्ति पर गुड़ बांटा जाता है ।

चरकुला नृत्य

  • प्रसिद्ध – भरतपुर
  • भगवान श्रीकृष्ण व राधा की स्मृति मे बैलगाड़ी के पहिये पर 108 दीपक जलाकर महिलाओ द्वारा सामूहिक रूप से यह नृत्य किया जाता है।

खारी/रतवई नृत्य

  • प्रसिद्ध – अलवर
  • खारी – लकड़ी की टोकरी
  • रतवई – हिंडोणी
  • भगवान श्रीकृष्ण व राधा की स्मृति मे बैलगाड़ी के पहिये पर 108 दीपक जलाकर महिलाओ द्वारा सामूहिक रूप से यह नृत्य किया जाता है।

4. मेवाड़ प्रांत – Rajasthan Ke Lok Nritya

Trick – मेव मेश रण मे बम लाते है । (खारी/रतवई नृत्य)

रण नृत्य

  • इस नृत्य मे युद्ध का अभिनय किया जाता है ।

हरणो नृत्य

  • यह नृत्य दिवाली पर बालकों द्वारा घर-घर जाकर किया जाता है ।
  • इसे लोमड़ी नृत्य के नाम से भी जाना जाता है ।

छमकड़ी नृत्य

वेरीहाल नृत्य

  • प्रसिद्ध – खेरवाड़ा
  • यह नृत्य रंग पंचमी के दिन किया जाता है ।

बारूद नृत्य

  • प्रसिद्ध – बस्सी, चित्तोडगढ़
  • इस नृत्य पर वर्तमान मे रोक लगा दी गई है ।

भवाई नृत्य

  • मूलतः – गुजरात का नृत्य
  • यह एक व्यावसायिक नृत्य है ।
  • प्रवर्तक – बाघोजी व नागोजी
  • प्रमुख कलाकार – रूपसिंह शेखावत
  • पर मटकों की लंबी कतार रखकर यह नृत्य किया जाता है ।
Imp. - केकड़ी, अजमेर की अस्मिता काला ने अपने सिर पर 111 मटके रखकर यह नृत्य किया इसलिए उनका नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड मे दर्ज किया गया ।   

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राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रिय नृत्य – Rajasthan Ke Lok Nritya

तेरहताली नृत्य

  • प्रसिद्ध – पादरला गाँव, पाली
  • यह नृत्य कामड़ जाती की महिलाओ द्वारा किया जाता है ।
  • इसे 13 मंझीरे बांध कर किया जाता है ।
  • 9 मंझीरे दाये पैर पर, 2 मंझीरे कोहनियों व 2 मंझीरे उंगलियों पर लपेटे जाते है ।
  • इस नृत्य के दौरान पुरुष द्वारा तंदुरा वाध्ययन्त्र बजाया जाता है ।
  • प्रसिद्ध नृत्यांग्नाए – मांगी बाई (बनीला गाँव, चित्तोडगढ़) व लक्ष्मण दास कामड़ ।
  • मांगी बाई का विवाह पादरला गाँव मे हुआ था ।
  • मांगीबाई को तेरहताली नृत्य की शिक्षा उनके जेठ गौरमदास ने दी ।
  • तेरहताली नृत्य रामदेवजी के मेले का सबसे आकर्षक नृत्य है ।
  • तेरहताली नृत्य हिंगलाज माता के मंदिर का प्रमुख नृत्य है ।
  • बैठकर किया जाने वाला एकमात्र नृत्य तेरहताली है।
  • यह राजस्थान का एकमात्र नृत्य है जो सिर्फ बहुओ द्वारा किया जाता है, बेटियों द्वारा नहीं ।
Imp - 1954 मे गाड़िया लुहार सम्मेलन (चित्तोडगढ़) मे मांगीबाई ने यह नृत्य प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के सामने पेश किया ।  इसके लिए मांगी बाई को संगीत अकादमी पुरुस्कार मिला । 

सुगनी नृत्य

  • प्रसिद्ध – पाली
  • यह नृत्य गोईया आदिवासियों द्वारा किया जाता है ।
  • इस नृत्य मे युवतियाँ युवकों को आकर्षित करने के लिए अपने शरीर पर सुगंध लगाती है ।

अग्नि नृत्य

  • प्रसिद्ध – कातरियासर, बीकानेर
  • प्रवर्तक – रुस्तम जी
  • यह नृत्य जसनाथी संप्रदाय के जाट अनुयायियों द्वारा किया जाता है ।
  • इस नृत्य मे अंगारों का धूणा बनाया जाता है ।
  • धुणे का आकार – 7 फुट लंबा, 4 फुट चोड़ा व 3 फुट गहरा
  • धुणे के चारों तरफ पानी डाला जाता है एवं मतीरे फोड़े जाते है । (मतिरा – तरबूज)
  • यह नृत्य सिद्ध कस्तम जी का कहकर फतेह-फतेह के उद्घोष के साथ प्रारंभ होता है ।
  • अग्नि नृत्य के नर्तकों को नाचणीयाँ कहा जाता है ।
  • इस नृत्य को गंगा सिंह (बीकानेर) द्वारा प्रदान किया गया है ।
Imp - कातरियासर की यह 500 बीघा जमीन सिकंदर लोधी ने जसनाद जी को भेंट की थी । 

ढोल नृत्य

  • प्रसिद्ध – जालोर
  • सर्वाधिक – ढोली व सरगड़ा जाती द्वारा
  • इस नृत्य मे 5 व 7 ढोल थाकना शैली मे बजाए जाते है । (थाकना शैली – जोश पैदा करना)
  • साँचलिया संप्रदाय इसे विवाह पर करता है ।

लुंवर नृत्य

  • प्रसिद्ध – जालोर
  • होली पर महिलाओ द्वारा गोला बनाकर तालियाँ बजाते हुए धीमी गति से किया जाता है

डांग नृत्य

  • प्रसिद्ध – नाथद्वारा, राजसमंद
  • होली पर देवर भाभी द्वारा किया जाता है

नाहर नृत्य

  • प्रसिद्ध – मांडल गाँव, भीलवाड़ा
  • यह नृत्य शाहजहाँ के काल मे प्रारंभ हुआ

भैरव नृत्य / मयूर नृत्य

  • प्रसिद्ध – ब्यावर, अजमेर
  • यह बादशाह की सवारी का प्रमुख नृत्य है ।

बिंदोरी नृत्य व ढोला-मारू नृत्य – झालावाड़ के प्रसिद्ध

पेजण नृत्य व पॉलीनोच नृत्य – बांसवाड़ा के प्रसिद्ध

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